संगति का प्रभाव। लोकोक्तियों की कविता - Kavita Rawat Blog, Kahani, Kavita, Lekh, Yatra vritant, Sansmaran, Bacchon ka Kona
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सोमवार, 18 नवंबर 2024

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संगति का प्रभाव। लोकोक्तियों की कविता

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उच्च विचार जिनके साथ रहते हैं वे कभी अकेले नहीं रहते हैं
एक जैसे पंखों वाले पंछी एक साथ उड़ा करते हैं

हंस-हंस के साथ और बाज को बाज के साथ देखा जाता है
अकेला आदमी या तो दरिंदा या फिर फ़रिश्ता होता है

तीन से भीड़ और दो के मिलने से साथ बनता है
आदमी को उसकी संगति से पहचाना जाता है

बिगडैल साथ भली गाय चली को बराबर मार पड़ती है
साझे की हंडिया अक्सर चौराहे पर फूटती है

सूखी लकड़ी के साथ-साथ गीली भी जल जाती है
और गुलाबों के साथ-साथ काँटों की भी सिंचाई हो जाती है

हँसमुख साथ मिल जाय तो सुनसान रास्ता भी आराम से कट जाता है
अच्छा साथ मिल जाने पर कोई रास्ता लम्बा नहीं रह जाता है

शिकारी पक्षी कभी एक साथ मिलकर नहीं उड़ा करते हैं
जो भेड़ियों की संगति में रहते हैं, वे गुर्राना सीख जाते हैं

 ..........कविता रावत
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