अमीरों की बजाई धुन पर गरीबों को नाचना पड़ता है - Kavita Rawat Blog, Kahani, Kavita, Lekh, Yatra vritant, Sansmaran, Bacchon ka Kona
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शुक्रवार, 28 फ़रवरी 2025

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अमीरों की बजाई धुन पर गरीबों को नाचना पड़ता है

Poverty+in+India

स्वर्ण लदा गधा किसी भी द्वार से प्रवेश कर सकता है।
शैतान से न डरने वाला आदमी धनवान बन जाता है ।।

अक्सर धन ढेर सारी त्रुटियों में टांका लगा देता है ।
गरीब मामूली त्रुटि के लिए जिंदगी भर पछताता है ।।

यदि धनवान को काँटा चुभे तो सारे शहर को खबर होती है।
निर्धन को साँप भी काटे तो भी कोई खबर नहीं पहुँचती है ।।

अक्सर गरीब की जवानी और पौष की चांदनी बेकार जाती है ।
गर आसमान से बला उतरी तो वह गरीब के ही घर घुसती है ।।

गरीबी के दरवाजे पर दस्तक देते ही प्रेम खिड़की से कूद जाता है।
निर्धन सुंदरी को प्रेमी बहुत लेकिन कोई पति नहीं मिल पाता है ।।

गरीब, कमजोर पर हर किसी का जोर चलने लगता है!
अमीरों की बजाई धुन पर गरीबों को नाचना पड़ता है!!

......कविता रावत